रिपोर्ट-राजू अतुलकर
एनसीईआरटी परिसर, भोपाल के कला मंडपम में शुक्रवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राष्ट्रीय कला उत्सव 2024-25 का शुभारंभ किया। इस भव्य आयोजन की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई, जिसमें परंपरागत और आधुनिक कला का अनूठा संगम देखने को मिला। यह आयोजन 6 जनवरी तक चलेगा, जिसमें देशभर के प्रतिभाशाली कलाकार अपनी अद्वितीय कला का प्रदर्शन करेंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अवसर पर कहा कि कला हमारी संस्कृति का आईना और समाज का श्रृंगार है। उन्होंने जोर देकर कहा, “कला एक साधना है और कलाकार एक साधक। यह केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं को गहराई से जोड़ने वाला सेतु है। कला साध्य भी है और आराध्य भी।”
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कला उत्सव 2024-25: भारत की विविधता और एकता का अनूठा मंच”
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भोपाल में कला का महासंगम: कलाकारों ने बिखेरी प्रतिभा की छटा
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मुख्यमंत्री डॉ. यादव: कला से संवेदनशील बनता है समाज
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64 कलाओं में निपुण श्रीकृष्ण का उदाहरण देते हुए बोले मुख्यमंत्री
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत कला-संस्कृति को दिया नया आयाम
भगवान श्रीकृष्ण का उल्लेख
मुख्यमंत्री ने भगवान श्रीकृष्ण का उदाहरण देते हुए कहा कि वे 64 कलाओं और 14 विधाओं में निपुण थे। उनकी ललित कलाओं में पारंगतता हमें सिखाती है कि कला केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि जीवन का आध्यात्मिक और सामाजिक आधार भी है। श्रीकृष्ण की बहुमुखी प्रतिभा भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता का प्रतीक है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति और कला का महत्व
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सराहना करते हुए कहा कि यह नीति शिक्षा के साथ कला और संस्कृति को समाहित कर नई पीढ़ी को नैतिक मूल्यों और संवेदनशीलता से जोड़ती है। उन्होंने कहा कि कला का कोई भी रूप, चाहे वह गायन हो, वादन हो, नृत्य हो, या दृश्य कला, यह छात्रों के संपूर्ण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बाल कलाकारों के लिए मंच
कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा और परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने बाल कलाकारों की प्रशंसा करते हुए कहा, “यह उत्सव बच्चों की प्रतिभा को निखारने और उनकी कलात्मक क्षमताओं को प्रदर्शित करने का आदर्श मंच है। ये बच्चे आने वाले समय में भारत का गौरव बढ़ाएंगे।”
सांस्कृतिक विविधता का उत्सव
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव आनंदराव विष्णु पाटिल ने कहा कि यह कला उत्सव ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ अभियान को प्रोत्साहन देता है। इसमें भाग ले रहे बाल कलाकार भारतीय संस्कृति की गहराई को आत्मसात कर रहे हैं।
एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि हमारी नई शिक्षा प्रणाली कला और विज्ञान के बीच सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास करती है। यह बाल कलाकारों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने और सीखने का अवसर प्रदान करती है।
राष्ट्रीय संयोजक प्रो. ज्योत्सना तिवारी ने बताया कि यह उत्सव 500 से अधिक बाल कलाकारों और उनके शिक्षकों की सहभागिता से सम्पन्न हो रहा है। चार दिवसीय इस कार्यक्रम में गायन, वादन, नृत्य, रंगमंच, और पारंपरिक कलाओं का प्रदर्शन किया जाएगा। समापन दिवस पर विजेता कलाकारों को स्वर्ण, रजत, और कांस्य पदक से सम्मानित किया जाएगा।
इस आयोजन ने भारत के विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से आए बाल कलाकारों को एकजुट कर विविधता में एकता का अनुभव कराया है। यह कला उत्सव भारतीय संस्कृति की विरासत को सहेजने और उसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने का उत्कृष्ट प्रयास है।
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Author: Tejas Reporter
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