रिपोर्ट-अतुल जैन
शिवपुरी | सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में भारी अनियमितताओं और गरीबों के खाद्यान्न की चोरी के मामले में प्रशासनिक कार्रवाई की मांग को लेकर सहरिया क्रांति आंदोलन ने जिला कलेक्टर और एसपी कार्यालय के सामने जोरदार प्रदर्शन किया। आंदोलनकारियों ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेने और निष्पक्ष जांच की अपील करते हुए ज्ञापन सौंपा।
सहरिया क्रांति के सदस्यों ने बताया कि उचित मूल्य की दुकानों से बड़े पैमाने पर अनाज चोरी कर गोदामों में इकट्ठा किया जा रहा है। यह अनाज बाद में ब्लैक मार्केट में बेचा जाता है। 3 सितंबर 2024 को नीमडांडा स्थित स्वास्तिक सोरटेक्स इंडस्ट्री में छापेमारी के दौरान 1418 क्विंटल गेहूं और चावल जब्त किया गया। यह अनाज पीडीएस के तहत गरीबों को वितरित किया जाना था, लेकिन इसे अवैध रूप से गोदाम में छिपाकर रखा गया था।
इस मामले में इंडस्ट्री मालिक अभिषेक तायल और ट्रक मालिक संतोष तायल के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन जांच की गति धीमी रही। आंदोलनकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस जांच में जानबूझकर लापरवाही बरती जा रही है और आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं।
न्याय की मांग: धाराएँ बढ़ाने की अपील
सहरिया क्रांति ने ज्ञापन में मांग की कि आरोपियों पर कड़ी धाराएँ, जैसे कि अमानत में खयानत, चोरी, और धोखाधड़ी लगाई जाएं। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि यह अनाज किन-किन दुकानों से गायब हुआ, इसकी जांच हो।
आंदोलनकारियों ने एक महिला का भी जिक्र किया, जो कथित रूप से भोपाल से इस रैकेट का संचालन कर रही है। इस महिला की कार छापेमारी के दौरान बरामद हुई, लेकिन अब तक उसे आरोपी नहीं बनाया गया। साथ ही, उन्होंने यह भी मांग की कि इस रैकेट से जुड़े सभी गुप्त सहयोगियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया :
प्रदर्शन के दौरान कलेक्टर ने आंदोलनकारियों को आश्वस्त किया कि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। वहीं, एडीशनल एसपी ने कहा कि इस मामले की जांच वरिष्ठ अधिकारियों की टीम द्वारा कराई जाएगी।
पिछले मामलों की जांच की मांग :
सहरिया क्रांति ने यह भी आग्रह किया कि अभिषेक तायल और संतोष तायल द्वारा पिछोर और अन्य क्षेत्रों में संचालित गोदामों की गहन जांच की जाए। उनके खिलाफ पहले से चल रहे काले कारोबार के मामलों को भी खोला जाए।
संघर्ष की चेतावनी :
सहरिया क्रांति के नेता औतार भाई सहरिया, मोहर सिंह आदिवासी, अजय आदिवासी, जगत सिंह आदिवासी, केशव आदिवासी और अन्य सदस्यों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि मामले की निष्पक्ष और त्वरित जांच नहीं हुई, तो वे जिले में बड़ा धरना और रैली आयोजित करेंगे।
आदिवासी समाज में आक्रोश
शिवपुरी के आदिवासी समुदाय में इस घोटाले को लेकर भारी नाराजगी है। आंदोलनकारियों ने स्पष्ट किया कि यदि दोषियों को सजा नहीं दी गई तो यह मामला बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह लड़ाई गरीब जनता के अधिकारों और न्याय की है।
सहरिया क्रांति का यह प्रदर्शन उन कमजोर वर्गों के लिए न्याय और अधिकारों की लड़ाई का प्रतीक बन गया है, जिनके हिस्से का अनाज सिस्टम की अनदेखी के चलते हड़प लिया जाता है। अब यह देखना अहम होगा कि प्रशासन और पुलिस इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और कैसे इस घोटाले की सच्चाई सामने लाते हैं।
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Author: Tejas Reporter
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