जनता की अदालत : पिछोर में यह कैसी “श्रीमंत की जनसुनवाई ?”

कहाँ तो उम्मीद थी कि न्याय का दरवाज़ा खुलेगा, समस्याओं की गठरी बंधेगी और समाधान की किरण फूटेगी, परंतु यहाँ तो व्यवस्था की चौखट पर जनता का विश्वास ही दम तोड़ता दिखा। श्रीमंत की जनसुनवाई—नाम सुनकर ही लगता है जैसे कोई राजदरबार सजा हो, जहाँ जनता अपनी गुहार लगाने आई हो। पर क्या वास्तव में … Continue reading जनता की अदालत : पिछोर में यह कैसी “श्रीमंत की जनसुनवाई ?”